होश आया था उस दिन जिस दिन रूप देखा तेरा,
अब तो मदहोश हो जाने को क्या, ज़िक्र ही काफ़ी तेरा ।।।।
मेरी पहली हिंदी पंक्तिया… ।
होश आया था उस दिन जिस दिन रूप देखा तेरा,
अब तो मदहोश हो जाने को क्या, ज़िक्र ही काफ़ी तेरा ।।।।
मेरी पहली हिंदी पंक्तिया… ।
Glad we had translation or ‘else I’d be missing out
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Thank you melitta. 😊😊 you are kind.
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शुभ परिचय से ऐसा शुभारंभ…
अंजाम क्या होगा…
वाह…
.
ज्ञानी कहते हैं कि
सपने होंगे तब ही तो सच होने पर बात होगी
सपने जरूरी हैं …
बड़े सपने…
.
आपका ब्लाग भी आपके लिये
बहुत बड़ा हो सकता है
आप चाहें तो
हमारी अनौखी परस्पर सहयोग योजना में
साथ जुड़िये
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लेखन हिन्दुस्तानी के वर्तमान और भावी सदस्यों का!!!!!!
(व्यक्तिगत संदेश पर विस्तृत जानकारी पाइये, हमें फालो कीजिये… अभी …)
– सत्यार्चन
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सबल सेना (अंग्रेजी ) के विरुद्ध युद्धरत, हर एक सैनिक (गैर अंग्रेजी साहित्य सृजक),
अपनी-अपनी पसंद का, अपना अलग मोर्चा खोलकर, युद्ध जीतने जैसी कल्पना करे तो वह महामूर्ख है…..
सामाजिक, सामरिक या साहित्यिक समर, सक्रिय सार्वजनिक सहयोग के बिना नहीं जीते जा सकते …
आइये पारस्परिक सार्थक सहयोगी बनकर जीत लें हम!!!
हम अजाने हैं… या जाने माने हैं……
जानें तो…कि, जानेमाने के अजानों के साथ मिलने से कितनी बड़ी सेना बनती है..!
#सत्यार्चन
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