कुछ अलग नशा सा है आँखों में उसकी,
मैं दूर जाता तो हूँ पर भी नही,
कोशिश कई बार की थी,
शब्दों में उतारूँ सीरत उसकी,
रात हुई,
हुई भोर भी अभी,
पर शायद क़ायम है बेपनाह उसका,
नशा इस मुलाज़िम पर आज अभी…..
कुछ अलग नशा सा है आँखों में उसकी,
मैं दूर जाता तो हूँ पर भी नही,
कोशिश कई बार की थी,
शब्दों में उतारूँ सीरत उसकी,
रात हुई,
हुई भोर भी अभी,
पर शायद क़ायम है बेपनाह उसका,
नशा इस मुलाज़िम पर आज अभी…..