सपना

देखा मैंने सपनों को आशाओं के तले दबते हुए,
की आँखें नहीं खोलता था मैं,
की सपना यह ठहर जाए कुछ और देर सही,
की जब आशाओं के समंदर का खारा पानी,
चुभन कर बंद कर देता है आँखें मेरी,
एक सपना ही है तो जहान मैं आज़ाद हूँ,
ज़िंदा हूँ, सहनशील हूँ,
एक बच्चा जो बस बड़ा नहीं होना चाहता,
सपना बनना चाहता है,
आशाएँ जिसे डुबाती नहीं,
आशाओं और सपनों का एक घनिष्ट संबंध,
जैसे बारिश और मिट्टी,
धूप और छाँव,
अनेक और एक..

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