शायर

बड़ी मुद्दतों के बाद निकला है आज,
छुपा बैठा था सीने में कहीं,
एक राज़ जो ज़ाहिर-ए-जहाँ है,
सुलग सुलग के इसने ना जाने कितनी हस्तियाँ निस्टेनाबूत की होंगी,
और एक मैं हूँ जो शायर बन बैठा……