नशा

कुछ अलग नशा सा है आँखों में उसकी,

मैं दूर जाता तो हूँ पर भी नही,

कोशिश कई बार की थी,

शब्दों में उतारूँ सीरत उसकी,

रात हुई,

हुई भोर भी अभी,

पर शायद क़ायम है बेपनाह उसका,

नशा इस मुलाज़िम पर आज अभी…..

रूह

धूँदता रहा था मैं कई चौखटों तुझे,

ना मिला भी तू,

शायद मिला भी मुझे,

लिखता तो मैं फिर भी था,

अल्फ़ाज़ों में रूह पर उतरी है आज तुझसे…..।।।।।

Do you have a minute?

I have eyes to see,

Feet to run,

Hands to carve my own sun,

And I see not the seen,

The do, not done,

Life isn’t fair to us all,

The Sun is harsh on some of our own,

What will happen if you a spare minute,

Stop, look around and be empathetic,

An act of kindness is a ripple they say,

Dominos fall and create a chain,

And traverses space, time and of all known gears,

Maybe your hand was their last despair,

A day known,

A memory sown,

And hope begins to grow,

A failed marriage, a jobless spirit,

Or maybe the one who had lost all his tidings,

Stretch a hand or that gorgeous smile,

Lend an ear or send a word,

Sometimes thats what all it takes,

Life isn’t easy for us all,

Hope we all could make it someday,

But Whatever happens always remember,

One for all,

All for one…..

इंसान

इंसान नही वो कायर है,

अहंकार से भरा हुआ,

बेइमानी में धसा हुआ,

झूठ की बुनियाद पे जिसका,

हो साम्राज्य टिका हुआ,

जात, बिरादरी या भगवान हूँ अल्लाह,

हो कारोबार जिसका सधा,

इंसान नही वो कायर है,

शर्मसार जिससे ये आयत है,

छीन कर गुड्डे गुड्डियाँ जिसने थमाईं,

असला, बारूद, भीख का कटोरा,

बंद दरवाज़ों में दफ़्न किए,

कई सपने बेपनाह,

इंसान नही वो कायर है,

देवी कह कर पूजता वोहि है,

लक्ष्मी भी तो वोहि है,

फिर क्यूँ नही सोचता है,

अबला भी तो एक प्राणी है,

जन्म भी जिसका नग्वारा है,

पल्लू ही जिसका आँगन है,

तेज़ाब ने भी उसका ना जाने क्या क्या बिगाड़ा है,

इंसान नही वो कायर है,

हवाओं का भी आज चिरहरण हुआ है,

भुखमरी, अकाल, विनाश का धुआँ है,

इंसान ही इंसान का दुश्मन बना है,

सीमाओं पे ही हर वक्त पहरा है,

हूँ मैं भी, शायद हो तुम भी,

हो ख़ौफ़ जहां, वहाँ होगा और क्या भी,

कोशिश आज चलो मिलके करें सभी,

बूँद बूँद कर सागर भरे ही तो भी,

ऊँच नीच, क्या तेरा मेरा,

हो सारा संसार अपना रैन बसेरा,

होगी शायद आज भी कहीं इंसानियत छुपी हुई,

होगी शायद आज भी कहीं करुणा छुपी हुई,

ख़ौफ़ को आज जीतने नही देंगे,

तुम भी हो, मैं भी हूँ, हम सब भी हैं,

आज बहादुर सभी,

इंसान का इंसान से प्यार,

हो मंत्र सबका यही….