अल्ला….

कुछ फुर्सत से बनाई होगी यह निगाह मेरी तूने,
देखता भी मैं तुझे हूँ,
दिखता भी तू नहीं है,
फिर भी जब कहीं सजदा कर लेता हूँ किसी मज़ार पर तेरी,
हवाएं चुपके से केह जाती हैं इन कानो में मेरे,
अल्ला हू अल्ला हू अल्ला हू….

दर्द….

उस दर्द की क्या दवा ढूंढिये,
रह रह कर जो उभर ही आता है,
मर्ज होता नहीं कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं जनाब,
कुछ वक़्त के साथ जाती हैं,
कुछ के लिए यह जाम ही काफी है…….

Where to find the cure of the pain,
Emerges that with time to time,
Diseases sometimes are incurable,
Those that go with time,
Or sometimes a glass of my favourite wine….

अक्स तेरा……

हम लबों से जो ना कह पाए,
हो सकती थी जो हसीन दास्ताँ,
ज़ुबान धोखा दे जाती है ना जाने क्यूँ,
धीमी बे‍हती नदी में जब कभी,
अक्स तेरा दिख जाता है जो…….