Shayad…

मैं देखता हूँ कुछ उलझे से सपने,
हथेली मैं जो लेके चलते हैं,
वो कुछ खुरदुरे से टुकड़े गहरे,
जहां मैं हूँ , जहां तुम हो, जहां सब हैं,
शायद मंज़िल की तलाश है,
या ढूँढते है ज़रा साफ़ सा आसमान,
शायद कहीं जाना नहीं,
उड़ना ही है शायद……..

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