मालिक।।

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ज़र्रा ज़र्रा तेरा ही नाम ले,

इबादत को झुके जो सिर,

हर शक्स उसका नाम ले,

परदे में तो हर इंसान ना जाने क्या कुछ है,

रेहमत पड़े जो तेरी तो हर इंसान खुदा ही है,

बारिश की कुछ बूँदें आज मुझपे भी बरसा ऐ मालिक,

ज़रा देखें तो मुझमें भी क्या है तू मालिक।।।।

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